कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा
ऐसी कोई भूूल, धूल धूसरित दिखा समाज का इक फूल। ऐसी कोई भूूल, धूल धूसरित दिखा समाज का इक फूल।
गर्व में तेरे पला बढ़ा मैं नौ महीने बोझ उठाया दर्द दिया जब पैदा हुआ मेरे लिए माँ तूने गर्व में तेरे पला बढ़ा मैं नौ महीने बोझ उठाया दर्द दिया जब पैदा हुआ मेरे लिए म...
तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते हों, तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते...
जिंदगी का खेल भी शतरंज की बिसाख पर है बिछा पड़ा जिंदगी का खेल भी शतरंज की बिसाख पर है बिछा पड़ा
शैतानी देख कहती, खाना अब न दूँगी तुझे, फिर मार मार के माँ का खिलाना अच्छा लगता है. शैतानी देख कहती, खाना अब न दूँगी तुझे, फिर मार मार के माँ का खिलाना अच्छा लगता ह...